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राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना कब हुई थी?, किस वर्ष राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना हुई?

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राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना 28 जनवरी 1958 उदयपुर में हुई थी। राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना 28 जनवरी 1958 को की गई थी। इसका उद्देश्य राजस्थान में साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देना, साहित्यकारों को प्रोत्साहित करना और साहित्यिक परंपराओं को संरक्षित करना था।

स्थापना का उद्देश्य

राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य राज्य की विविध भाषाओं, बोलियों और साहित्यिक परंपराओं को संरक्षित करना और उनके विकास को बढ़ावा देना था। यह अकादमी लेखकों, कवियों और साहित्यकारों को मंच प्रदान करती है और उनके कार्यों को सम्मानित करती है।

स्थापना का श्रेय

राजस्थान साहित्य अकादमी की स्थापना राजस्थान सरकार द्वारा की गई थी। इसके पीछे तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया और अन्य साहित्यिक विद्वानों की प्रमुख भूमिका थी। अकादमी के संस्थापक सचिव डॉ. गणेशीलाल व्यास ‘उस्ताद’ माने जाते हैं, जिन्होंने इसके प्रारंभिक कार्यों को दिशा दी।

राजस्थान साहित्य अकादमी मुख्य कार्य और गतिविधियाँ

1. साहित्यिक सम्मान:- राजस्थान साहित्य अकादमी हर वर्ष साहित्यकारों को उनकी उत्कृष्ट रचनाओं के लिए पुरस्कार और सम्मान प्रदान करती है, जैसे “मीरा पुरस्कार”, “सूर्यकांत त्रिपाठी निराला पुरस्कार” आदि।

2. पुस्तक प्रकाशन:- यह अकादमी साहित्यिक पुस्तकों का प्रकाशन करती है, जिनमें कविता, कहानी, नाटक, निबंध और आलोचना शामिल हैं।

3. संगोष्ठियाँ और कार्यशालाएँ:- अकादमी साहित्यिक गोष्ठियों, सेमिनारों और कार्यशालाओं का आयोजन करती है, जिनमें साहित्यिक विषयों पर चर्चा होती है।

4. भाषा संरक्षण:- राजस्थान की विभिन्न बोलियों जैसे मारवाड़ी, मेवाड़ी, हाड़ौती, शेखावाटी आदि को प्रोत्साहित करने के लिए अकादमी प्रयासरत रहती है।

5. पुस्तकालय और शोध कार्य:- अकादमी का एक पुस्तकालय है, जहाँ साहित्यकार और शोधकर्ता अपनी शोध सामग्री प्राप्त कर सकते हैं।

महत्व

राजस्थान साहित्य अकादमी ने राज्य में साहित्यिक चेतना को जागृत करने और साहित्य के माध्यम से सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी गतिविधियाँ न केवल राजस्थान बल्कि भारत के साहित्यिक परिदृश्य को भी समृद्ध करती हैं।

राजस्थान साहित्य अकादमी का साहित्यिक जगत में एक विशिष्ट स्थान है। इसकी स्थापना के पीछे राज्य के साहित्यिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की भावना थी। अकादमी के योगदान से राजस्थान का साहित्य और संस्कृति राष्ट्रीय स्तर पर पहचानी जाती है।

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