ऐसा कौनसा देश है जिसमे एक भी ATM मशीन नहीं हैं !

ATM मशीन : दोस्तों आपने बहुत कुछ बाते सुनी और देखी होगी लेकिन आज हम आपको एक एसी अद्भुत बात बताने वाले है की जिसे सुनकर के आप भी सोच में पड़ जायेगे की भला आज के जमाने में भी ऐसा हो सकता है . तो हम आपको बता दे की हा ये बिलकुल ही सही है . आज भी भुत से देश ऐसे है जहाँ पर अभी तक भी कोई भी ATM मशीन नहीं है. नहीं वहां कभी इनका उपयोग किया जाता है. आपके पढाई और जनरल नॉलेज की बात करे तो , आज हम आपके GK के एक ऐसे प्रश्न के बारे में बताने वाले है. जो आपके बहुत ही काम के तो है, ही साथ ही बहुत ही आसान भी है.

विश्व में बहुत सारे देश है लेकिन ऐसे देश के बारे में आपने कभी नहीं सुना होगा जहाँ पर आज भी कोई एटीएम (ATM ) मशीन नहीं है. तो आपको लगता हूँ की भला आज के ज़माने में भी कोई ऐसा देश नहीं हो सकता जहाँ कोई ATM मशीन नहीं हो .पर ये बिल्कुल भी सही है , यहां पर लोगों को इस देश में एक महीने में 23500 रू से ज्यादा नहीं निकालने नहीं दिया जाता है . और इस देश में सिम भी बड़ी मुश्किल से मिलत पाती है. और इस देश के TV पर भी वो ही खबर चलाई जाती है जो वहां की सरकार चलाना चाहती है , इसके अलावा कोई भी खबर tv के चेनलों पर नहीं चलाई जाती है.यहां पर सोशियल मिडिया का भी उपयोग करने के भी नियम बनाये गए है , यहां बिना अनुमति कोई भी व्यक्ति सोशियल मिडिया का उपयोग नहीं कर सकता है.

इरीट्रिया 1993 में इथियोपिया से आजाद हो गया था, लेकिन आज भी यहां राष्ट्रपति इसायास अफेवेर्की की पार्टी का बोलबाला है। सरकार ने दूसरी विपक्षी पार्टी बनाने पर बैन लगा रखा है। मीडिया स्वतंत्र रूप से कुछ लिख नहीं सकता और सरकार के आलोचकों को जेल भेज दिया जाता है। युवाओं को मिलिट्री ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है।

यहाँ के युवाओं को पासपोर्ट तब तक नहीं दिए जाते, जब तक वे मिलिट्री सर्विस को पूरा नहीं कर लेते। इसके लिए मिलिट्री ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। ट्रेनिंग का हिस्सा लेने के लिए युवाओं को स्थानीय प्रशासन से अनुमति भी लेनी पड़ती है। पासपोर्ट मिलने के बाद भी देश छोड़ना आसान नहीं होता। बाहर जाने के लिए एग्जिट वीजा की जरूरत होती है, जो सरकार आसानी से नहीं जारी करती। सरकार का मानना है कि ये एक बार राज्य छोड़कर चले गए तो वापस नहीं आएंगे। ऐसी स्थिति में युवा गैर-कानूनी तरीके से बॉर्डर पार करते हैं और इथियोपिया या सूडान में जाकर बसते हैं। साल दर साल यहां से अन्य देशों में जाने वाले शरणार्थियों का आंकड़ा बढ़ रहा है।

इरीट्रिया में एरीटेल एकमात्र टेलीकॉम कंपनी है, जिसे सरकार नियंत्रित करती है। इसकी सर्विस बेहद खराब है। इंटनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की रिपोर्ट के मुताबिक, इरीट्रिया में इंटरनेट का इस्तेमाल महज 1% आबादी ही कर पा रही है। मोबाइल से बात करने के लिए सिम कार्ड खरीदना भी आसान नहीं है। सिम स्थानीय प्रशासन की मंजूरी के बाद ही मिलती है। सिम मिलने के बाद भी इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि इसमें मोबाइल डाटा ही नहीं होता। सिम के लिए आवेदकों की संख्या ज्यादा होने के कारण यह आसानी से नहीं मिल पाती। नतीजतन लोगों को कॉल करने के लिए पीसीओ का रुख करना पड़ता है।

स्थानीय लोग वाई-फाई से ही इंटरनेट का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन यह बेहद धीमा है। सोशल मीडिया का प्रयोग करने के लिए भी सरकार के अपने नियम हैं, जिनका सख्ती से पालन करना जरूरी है। दूसरे देशों से पहुंचने वाले लोगों को अस्थायी सिम लेने के लिए पहले आवेदन करना पड़ता है, जिसमें दो से तीन लग जाते हैं। देश छोड़ते वक्त सिम लौटाना भी होता है।

ATM मशीन

यहाँ के लोगों को एक कार खरीदने के लिए 11 महीने तक इंतजार करना पड़ता है क्योंकि हर महीने बैंक से रकम निकालने की सीमा तय है शादियों के मामले में छूट दी जाती है। ऐसे बड़े आयोजनों के लिए तय सीमा से ज्यादा रकम निकाली जा सकती है। सरकार ऐसा क्यों करती है, इस पर लोगों का कहना है, यह नियम महंगाई रोकने के लिए लोगों को बचत करना सिखाता है। कुछ लोगों का कहना है कि सरकार व्यापारिक गतिविधियों को पसंद नहीं करती, इसलिए पैसों के सर्कुलेशन पर लगाम लगा रखी है।

संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी एजेंसी के मुताबिक, इरीट्रिया नौवां ऐसा देश है जहां से सबसे ज्यादा शरणार्थी निकलते हैं। 2018 के अंत तक इनकी संख्या 5 लाख 73 हजार थी। वहीं, 2017 में यह आंकड़ा 4 लाख 86 हजार 200 था। देश की जनसंख्या कितनी है, इसका सरकार के पास आंकड़ा नहीं है, क्योंकि कभी गिनती ही नहीं हुई। वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू के मुताबिक, देश की आबादी 35 लाख हो सकती है।

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