सही उत्तर – ऋषभदेव राजस्थान में आरपीएससी द्वारा आयोजित सेकंड ग्रेड संस्कृत शिक्षा विभाग शिक्षक भर्ती में प्रश्न पूछा गया था जिसका सही उत्तर ठक्कर बापा ने भील सेवा समिति के तत्वाधान में भूल आश्रम की स्थापना ऋषभदेव में की थी।
ठक्कर बापा ने राजस्थान में भील समुदाय के उत्थान के लिए अनेक प्रयास किए। उनके प्रयासों का एक महत्वपूर्ण केंद्र ऋषभदेव था, जहां उन्होंने भील सेवा समिति के अंतर्गत भील आश्रम की स्थापना की।
ठक्कर बापा ने भील आश्रम की स्थापना खड़लाई
ठक्कर बापा, जिनका वास्तविक नाम अमृतलाल विठ्ठलदास ठक्कर था, एक महान समाज सुधारक और आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता थे। उन्होंने भारत के आदिवासी और वंचित समुदायों की सामाजिक, शैक्षिक, और आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। राजस्थान के भील समुदाय, जो कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा हुआ था, के उत्थान के लिए उन्होंने विशेष प्रयास किए।
खड़लाई में आश्रम की स्थापना का उद्देश्य:
1. शिक्षा का प्रसार: भील समुदाय में शिक्षा की कमी को दूर करना। आश्रम में बच्चों और युवाओं को प्राथमिक शिक्षा दी जाती थी।
2. सामाजिक जागरूकता: भीलों में सामाजिक कुरीतियों और शोषण के खिलाफ जागरूकता फैलाना।
3. स्वास्थ्य सुधार: आश्रम के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं और स्वच्छता पर जोर दिया गया।
4. आजीविका: भील समुदाय को स्वरोजगार और कृषि तकनीकों में प्रशिक्षण प्रदान करना।
खड़लाई का चयन क्यों?- खड़लाई क्षेत्र आदिवासी बहुल था और यहां भील समुदाय की बड़ी संख्या थी। इस क्षेत्र में शिक्षा और विकास के अवसर न के बराबर थे। ठक्कर बप्पा ने इस स्थान को इसलिए चुना ताकि वह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकें और उन्हें मुख्यधारा के जीवन से जोड़ सकें।
महत्व– खड़लाई में स्थापित यह आश्रम न केवल एक शैक्षिक और सामाजिक केंद्र बना, बल्कि यह भील समुदाय को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने का एक प्रेरणास्रोत भी साबित हुआ। ठक्कर बापा का यह प्रयास राजस्थान के आदिवासी कल्याण के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।