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बीकानेर राज्य प्रजा परिषद की स्थापना कब हुई थी?, बीकानेर प्रजापरिषद की स्थापना कब हुई?

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बीकानेर राज्य प्रजा परिषद की स्थापना रघुवर दयाल गोयल 1942 में हुई थी। बीकानेर राज्य प्रजा परिषद ने न केवल बीकानेर रियासत में बल्कि राजस्थान में जन आंदोलन को नई दिशा दी। यह संगठन जनता की शक्ति और संगठित प्रयासों से प्रजातंत्र की स्थापना का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

बीकानेर राज्य प्रजा परिषद (1942)

बीकानेर राज्य प्रजा परिषद की स्थापना 1942 में बीकानेर रियासत के प्रजाजनों के अधिकारों की रक्षा और उनके कल्याण हेतु हुई थी। यह संगठन स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजस्थान के राजकीय जनजागरण में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसका मुख्य उद्देश्य तत्कालीन शासक की निरंकुश नीतियों का विरोध करना और जनसामान्य के अधिकारों की मांग करना था।

बिकानेर प्रजापरिषद स्थापना और पृष्ठभूमि

बीकानेर रियासत, जो कि ब्रिटिश भारत की एक महत्वपूर्ण रियासत थी, पर महाराजा गंगा सिंह का शासन था। हालांकि उनका प्रशासन कुशल माना जाता था, लेकिन आम जनता के लिए राजनीतिक और सामाजिक अधिकार सीमित थे।

1930 और 1940 के दशक में भारत के अन्य हिस्सों की तरह बीकानेर में भी जन जागृति की लहर उठी। इसका प्रभाव गांधीजी के नेतृत्व में चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन और कांग्रेस के बढ़ते प्रभाव से हुआ। इसी समय बीकानेर के प्रबुद्ध और प्रगतिशील लोगों ने “प्रजा परिषद” का गठन किया।

मुख्य उद्देश्य

1. जन अधिकारों की मांग: आम जनता के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय सुनिश्चित करना।

2. प्रजासत्ता की स्थापना: रियासत के शासन में जनता की भागीदारी बढ़ाना।

3. शिक्षा और सामाजिक सुधार: शिक्षा का प्रसार और जाति-पांति, अंधविश्वासों को खत्म करना।

4. कर प्रणाली में सुधार: किसानों और व्यापारियों पर लगाए गए भारी करों का विरोध।

बिकानेर प्रजापरिषद प्रमुख नेता और योगदान

प्रजा परिषद के गठन में कई प्रमुख नेताओं का योगदान था, जिनमें विशेष रूप से रघुवर दयाल गोयल, मघाराम वेद्य, मूलचंद अग्रवाल, हरलाल उपाध्याय, जसवंतसिंह और बालकृष्ण पुरोहित जैसे नाम उल्लेखनीय हैं। ये नेता रियासत में राजनीतिक चेतना जगाने और जनसाधारण को संगठित करने में सफल रहे।

गतिविधियाँ और आंदोलन

1. शांतिपूर्ण प्रदर्शन: प्रजा परिषद ने रियासत में जनता की समस्याओं को उठाने के लिए शांतिपूर्ण रैलियों और सभाओं का आयोजन किया।

2. प्रचार अभियान: जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए पत्रक और साहित्य का वितरण।

3. विधान सभा की मांग: जनता के प्रतिनिधित्व के लिए विधान सभा के गठन की मांग।

अंग्रेजों और शासकों की प्रतिक्रिया

प्रजा परिषद की गतिविधियों ने रियासत के शासकों और अंग्रेजी शासन को चिंतित कर दिया। कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया और आंदोलनों को दबाने का प्रयास किया गया। लेकिन इसके बावजूद, यह संगठन रियासत में प्रजातांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा।

महत्व और विरासत

1947 में भारत की स्वतंत्रता और राजस्थान के एकीकरण के बाद, बीकानेर राज्य प्रजा परिषद का उद्देश्य पूरा हुआ। यह संगठन राजस्थान में प्रजातांत्रिक चेतना जगाने और स्वतंत्रता संग्राम में रियासत के योगदान को चिन्हित करने वाला एक बड़ा प्रतीक बन गया।

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