उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के कुएं को लेकर बढ़ते विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने फिलहाल मस्जिद परिसर में स्थित विवादित कुएं को खोलने या उससे संबंधित किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह निर्णय धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
क्या है मामला?
संभल की शाही जामा मस्जिद का विवाद उस समय गहराया, जब हिंदू पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद का निर्माण एक प्राचीन मंदिर (जिसे ‘हरीहर मंदिर’ के नाम से जाना जाता था) को ध्वस्त करके किया गया। हिंदू पक्ष ने अदालत में याचिका दायर कर मंदिर में पूजा-अर्चना करने की अनुमति मांगी। इसी संदर्भ में स्थानीय अदालत ने मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया।
मस्जिद परिसर में स्थित एक कुआं, जो आधा मस्जिद के अंदर और आधा बाहर है, विवाद का मुख्य केंद्र बन गया। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह कुआं मंदिर से संबंधित है और इसे पूजा-अर्चना के लिए खोला जाना चाहिए।
विवाद और हिंसा
सर्वेक्षण के बाद नवंबर 2024 में स्थिति तनावपूर्ण हो गई। 24 नवंबर को हुई हिंसक झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। मस्जिद प्रबंधन समिति ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के और अवैध रूप से सर्वेक्षण कराया।
इसके बाद संभल नगर पालिका परिषद ने एक नोटिस जारी कर कुएं की सफाई और उसे सार्वजनिक उपयोग के लिए खोलने की बात कही। इस कदम ने विवाद को और अधिक गहरा दिया।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
इस विवाद को शांत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी 2025 को एक बड़ा आदेश जारी किया। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा की बेंच ने फिलहाल कुएं के उपयोग, सफाई या उससे संबंधित किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संभल नगर पालिका परिषद द्वारा जारी नोटिस फिलहाल प्रभावी नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
1. कुएं को न खोला जाए: कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले में अगली सुनवाई तक कुएं को किसी भी धार्मिक उद्देश्य के लिए न खोला जाए।
2. स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश: जिला प्रशासन को दो सप्ताह के भीतर इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।
3. शांति बनाए रखने पर जोर: कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस से कहा कि वह किसी भी प्रकार की हिंसा या तनावपूर्ण स्थिति से बचने के लिए तत्काल कदम उठाए।
अगली सुनवाई की तारीख
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी 2025 को निर्धारित की है। तब तक किसी भी पक्ष को कोई नई कार्रवाई करने से मना किया गया है।
सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की कोशिश
यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब भारत में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस प्रकार के संवेदनशील मामलों में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखना सर्वोपरि है।
संभल मस्जिद विवाद केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक शांति का भी प्रश्न है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने दोनों पक्षों को तनावपूर्ण स्थिति को बढ़ाने से रोका है। अब सबकी नजरें 21 फरवरी की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस मामले में आगे का फैसला लिया जाएगा।