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हिंद महासागर के नितल उच्चावच

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हिंद महासागर 7.3 करोड़ वर्ग किलोमीटर में विस्तृत यह महासागर लगभग चारों ओर से महाद्वीपीय भाग से घिरा हुआ है जिनकी औसत गहराई 4000 मी मानी जाती है विश्व के समस्त महासागरों के क्षेत्रफल का 20% भाग हिंद महासागर में शामिल है।

इस महासागर के दक्षिण पश्चिम में अफ्रीका महाद्वीप उत्तर में एशिया महाद्वीप दक्षिण पूर्व में ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप व दक्षिण में अंटार्कटिका महाद्वीप स्थित है अंटार्कटिका के समीप इसका संबंध प्रशांत व अंध महासागर से हो जाता है।

उत्तर में इस महासागर को भारतीय उपमहाद्वीप की उपस्थिति दो भागों में एक अरब सागर व बंगाल की खाड़ी में कर देती है हिंद महासागर के तत्वों का अधिकांश भाग गोंडवाना लैंड के ब्लॉक पर्वत से निर्मित है।

पूर्वी द्वीप समूह के तत्व के सहारे वलित पर्वतों की श्रृंखलाएं पाई जाती है प्रमुख सीमांत सागर में फारस की खाड़ी लाल सागर मोजांबिक सागर बंगाल की खाड़ी अरब सागर अंडमान सागर अदन की खाड़ी इत्यादि विस्तृत है।

हिंद महासागर के आंतरिक तथा तटीय भागों पर अनेक द्वीप स्थित है यथा मेडागास्कर, डियांगो गार्सिया, रियूनियन, सोकोतरा ,जंजीबर ,मॉरीशस, चागोश ,सुलेमान ,प्रिंस एडवर्ड, क्रोजेट, सेंट पॉल ,पंबा, जंजीबार, श्रीलंका, कोकोस, द्वीप समूह, अंडमान में निकोबार द्वीप समूह जावा तथा सुमात्रा द्वीप समूह  इत्यादि स्थित है।

मगन तट: हिंद महासागर के मगन तटों में काफी विभिन्नता है यह मगन तट 160 किलोमीटर से 640 किलोमीटर तक चौड़े हैं पूर्वी तटों की तुलना में पश्चिमी तट अधिक विस्तृत है।

जावा तथा सुमात्रा के पास इनकी चौड़ाई 160 किलोमीटर है मगन तटों की अधिकतम चौड़ाई मेडागास्कर के पास है।

महासागरीय गर्त: अंडमान एवं जावा तथा सुंधा गलत 7450 मी गहरा ऑफ मॉरिशस वह एमिरेंटी गर्त है।

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