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ख्यात बिकानेर रा राठौरां री के अनुसार कौन सा व्यंजन विवाह के अवसर पर सर्वसामान्य व्यंजन विवाह के अवसर पर बनाया जाता है।

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ख्यात बीकानेर राठौड़ा री के अनुसार लापसी व्यंजन विवाह के अवसर पर सर्व सामान्य व्यंजन के रूप में बनाया जाता है लापसी एक प्रकार का मिठाई का व्यंजन है जिसको बड़े कटे हुए गेहूं के द्वारा बनाया जाता है जिसको घी में भूनकर एक स्वादिष्ट व्यंजन के रूप में बनाया जाता है जो कि पश्चिमी राजस्थान और राजस्थान के अन्य इलाकों में भी विशेष अवसरों पर बनाए जाने वाला व्यंजन है।

लापसी: राजस्थान की मिठास और परंपरा का प्रतीक

लापसी, राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक और पाक परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है। विशेष रूप से विवाह और शुभ अवसरों पर बनाए जाने वाला यह व्यंजन न केवल स्वाद का आनंद देता है, बल्कि अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के कारण भी अत्यंत विशिष्ट स्थान रखता है।

लापसी की सामग्री और तैयारी

लापसी को गेहूं के मोटे दलिये (जिसे टूटे हुए गेंहू या “धानिया” भी कहते हैं) और गुड़ से तैयार किया जाता है। इसे देसी घी में पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और सुगंध दोनों अद्वितीय बनते हैं। प्रमुख सामग्री में शामिल हैं:

मोटा दलिया (1 कप)

गुड़ (स्वादानुसार, आमतौर पर 1 कप)

देसी घी (2-3 बड़े चम्मच)

सूखे मेवे (काजू, बादाम, किशमिश)

पानी (3-4 कप)

इलायची पाउडर (स्वाद के लिए)

तैयारी के लिए, सबसे पहले दलिये को धीमी आंच पर घी में भून लिया जाता है, जब तक कि वह सुनहरे रंग का न हो जाए और उसकी सुगंध न आने लगे। इसके बाद पानी डालकर इसे धीमी आंच पर पकाया जाता है, जब तक कि दलिया नरम न हो जाए। फिर गुड़ घोलकर डाला जाता है और इसे तब तक पकाया जाता है जब तक व्यंजन एकसार न हो जाए। अंत में सूखे मेवे और इलायची पाउडर डालकर इसे सजाया जाता है।

लापसी

लापसी का सांस्कृतिक महत्व

लापसी को राजस्थान में शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे अक्सर विवाह, नवजात शिशु के जन्म, गृह प्रवेश, और त्योहारों पर विशेष रूप से बनाया जाता है। विवाह समारोह में लापसी बनाना यह दर्शाता है कि नवविवाहित जोड़े का जीवन गुड़ जैसी मिठास और दलिया जैसी स्थिरता से भरपूर हो।

स्वाद और पौष्टिकता का संगम

लापसी सिर्फ एक मिठाई नहीं है, बल्कि एक संपूर्ण पौष्टिक भोजन भी है। इसमें दलिये के रूप में फाइबर और गुड़ के रूप में आयरन का भरपूर स्रोत होता है। घी और सूखे मेवे इसे ऊर्जा से भरपूर बनाते हैं। इसका हल्का मीठा स्वाद और सुगंध इसे हर उम्र के लोगों के बीच प्रिय बनाते हैं।

परंपरा और आधुनिकता का मेल

आज के समय में भी, जब आधुनिक व्यंजनों का प्रचलन बढ़ रहा है, लापसी अपनी जड़ों से जुड़े रहने का एक उदाहरण है। यह व्यंजन न केवल परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि स्वाद और स्वास्थ्य के अद्वितीय संतुलन के कारण हर समारोह में अपनी जगह बनाए हुए है।

लापसी एक ऐसा व्यंजन है जो सिर्फ पेट ही नहीं, बल्कि दिल को भी संतोष देता है, और हर राजस्थानी को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का गर्व महसूस कराता है।

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